दोस्तों क्या आपको प्रेम और मोह में अंतर पता है? अगर आपने कभी प्रेम और मोह में अंतर जानने की कोशिश की है तो TimesTak आपके लिए एक अनोखी कलेक्शन "Prem hai ya Moh - प्रेम है या मोह- A Hindi Love Poem" लेकर आया है। दुनिया में हम सभी एक दूसरे के साथ प्रेम के बंधन से जुड़े है। और हमें मालूम है कि हमारी Relationship प्रेम के बंधन के साथ जुड़ी है। लेकिन हमें मालूम नहीं होता की आख़िर कार हमारी Relationship प्रेम से जुड़ी है या मोह से।
प्रेम क्या है? What is Love?
दुनिया में लोग प्रेम को कई तरह से परिभाषित करते हैं, लेकिन क्या हमें वास्तव में प्रेम की परिभाषा पता है? क्या हम प्रेम को वास्तव में समझ पाते हैं?
"प्रेम" यानी प्यार जिसे इंग्लिश में Love भी कहते हैं, ये हमें ज़िन्दगी जीने का सही मूल्य सिखाती है। प्रेम क्या है ? प्रेम मनुष्यता है। हम दुनिया में एक हैं, एक दूसरे को महसूस कर जीते हैं, यही तो है प्रेम! दूसरे को दर्द होने पे खुद को जब दर्द होता है, दूसरे के ख़ुशी में खुद को ख़ुशी महसूस होती है क्या है ये प्रेम ही तो है।
प्रेम एक एहसास है। प्रेम स्वाभिमान है। प्रेम त्याग है। प्रेम बलिदान है। प्रेम खुद में एक प्रेम है। दोस्तो चाहे हम दुनिया में कितनी भी प्रेम की परिभाषा बना ले लेकिन प्रेम तो वो एहसास है जो ज़िन्दगी बनने से पहले सूरू तो होती है लेकिन ज़िन्दगी ख़तम होने के बाद भी वो हमारे अंदर रहती है।
मोह क्या है? What is Infatuation?
दोस्तों मोह भी कुछ प्रेम से से अलग नहीं। जितना प्रेम हमारे अंदर होती है उतना ही मोह भी हमारे अंदर ही होती है। लेकिन ज़िन्दगी में प्रेम और मोह "Prem hai ya Moh" Ka अलग अलग किरदार है। हम कभी कभी किसी चीज से या किसी इंसान से इतना प्रेम कर बैठते है कि हमें उसके अलावा कुछ और दिखता ही नहीं और अगर वो चीज या इंसान हमें ना मिले तो हम उसके बिना एक क्षण के लिए भी नहीं रह पाते हैं। यही है मोह। कभी कभी हम कसी चीज को या किसी इंसान को देखते ही मुग्ध हो जाते हैं और चाहते है कि वो चीज हमें तुरंत मिल जाए।
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अतः प्रेम तो हमारे दिल से शुरू होता है लेकिन मोह! मोह हमें किसी चीज या इंसान के प्रति इतना आकर्षित कर देता है कि हम उसे पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते है अतः मोह आंखों से शुरू होकर दिल तक जाता है।
चुकी: "Prem hai ya Moh - प्रेम है या मोह" यह एक Hindi love Poem है जो TimesTak ने नौजवानों को मद्देनजर रख कर उन्हें डेडिकेट किया है, लेकिन ये सिर्फ नौजवानों के लिए नहीं, यह Hindi love Poem हम सारे इंसानों के लिए है, जो प्रेम करते हैं, जो प्रेम करना चाहते हैं, जो एक दूसरे को प्रेम करना सिखाते हैं।
Prem hai ya Moh - प्रेम है या मोह
Prem hai ya moh
Kehna bada muskil hai
Dekh use jab dil ghabraye
Sarmaye dil u man muskaye
Ye prem hai ya moh
Kehna bada muskil hai
प्रेम है या मोह
कहना बड़ा मुश्किल है
देख उसे जब दिल घबराए
शर्माए दिल यूं मन मुस्काए
ये प्रेम है या मोह
कहना बड़ा मुश्किल है
Chalte rahon se jab bhatke man
Wo Man didar kar sapne dikhaye
Ye prem hai ya moh
Kehna bada muskil hai
चलते राहों से जब भटके मन
वो मन दीदार कर सपने दिखाए
प्रेम है या मोह
कहना बड़ा मुश्किल है
Chandani wali raaton me jab
dekh chand, khyal us pari ki aye
Sitaron bhari aasamn me
u badlon sang chipa chand muskaye
Fir kyo ye dhadkan koi geet gungunaye
Ye prem hai ya moh
Kehna bada muskil hai
चांदनी वाली रातों में जब
देख चांद, ख्याल उस परी की आए
सितारों भरी आसमां में
यूं बादलों संग छिपा चांद मुस्काए
फ़िर क्यों ये धड़कन कोई गीत गुनगुनाए
प्रेम है या मोह
कहना बड़ा मुश्किल है
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Rom rom rang rangeen ho jaye
Dekh uske nain zivan dor bandh jaye
Pailo ki chanchan sun man vivor ho jaye
Khanakti uski chudiyan dil magan ho jaye
Ye prem hai ya moh
Kehna bada muskil hai
रोम रोम रंग रंगीन हो जाए
देख उसके नैन जीवन डोर बंध जाए
पायलों की छनक सुन मन विभोर हो जाए
खनकती उसकी चूड़ियां दिल मस्त मग्न हो जाए
प्रेम है या मोह
कहना बड़ा मुश्किल है
कहना बड़ा मुश्किल है ये प्रेम है या मोह कहना बड़ा मुश्किल है
Kehna bada muskil hai ye prem hai ya moh Kehna bada muskil hai
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Conclusion: पाठकों तो आशा करता हूं Timestak पे प्रकाशित यह Hindi love Poem आपको "Prem hai ya Moh - प्रेम है या मोह" की यह कलेक्शन पढ़कर बहुत अच्छा लगा होगा। और आपको इस अनोखी कलेक्शन से प्रेम और मोह के बारे में कुछ हद तक जरूर जानने को मिला होगा। दोस्तों हमें हमेशा याद रखनी चाहिए कि हम दुनिया में हर किसी के साथ प्रेम से और व्यावहारिक रूप से रहे, एक दूसरे को हमेशा सम्मान दे ताकि हमारी दुनिया को हमसे या किसी भी इंसान को किसी दूसरे इंसान से कोई तकलीफ़ ना हो। और एक दूसरे के साथ खुश रहकर संटी पूर्वक जीवन निर्वाहन करना यही तो है प्रेम, और प्रेम से रहना ।